भाजपा की नजर दिल्ली की विधानसभा 30 सीटों पर: दलित वोटरों को साधने की नई रणनीति
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार पार्टी का लक्ष्य दलित वोटरों को आकर्षित कर दिल्ली की सत्ता में वापसी करना है। भाजपा ने अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अच्छी संख्या वाले 30 विधानसभा सीटों को जीतने की विशेष योजना बनाई है।
पार्टी नेताओं के अनुसार, अगले साल होने वाले चुनावों से पहले दिल्ली में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या वाले 12 आरक्षित सीटों सहित 30 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी अपनी पहुंच बढ़ाने पर काम करेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इन 30 निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों के साथ घर-घर संपर्क बढ़ाने के लिए 'विस्तारक' (दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता) नियुक्त किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि हाल के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने 12 अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया। इनमें से 8 क्षेत्रों में भाजपा को इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों से ज्यादा वोट मिले। इससे पार्टी को विश्वास है कि ये सीटें विधानसभा चुनाव में भी जीती जा सकती हैं। 2013 के बाद से भाजपा दलित बहुल सीटों पर जीत हासिल नहीं कर पाई है, और इन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करना पार्टी के लिए जरूरी है।
दिल्ली भाजपा एससी मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिरहा ने बताया कि 12 आरक्षित सीटों के अलावा बीजवासन, नरेला, नांगलोई और शाहदरा जैसे 18 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी दलित मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। 'विस्तारक' इन 30 विधानसभा सीटों में से प्रत्येक में काम करेंगे और लगभग 4000 बूथों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जहां दलित वोट ज्यादा हैं। हर बूथ पर 10 कार्यकर्ता तैनात होंगे ताकि मतदाताओं के साथ घर-घर संपर्क सुनिश्चित हो सके।
दिल्ली विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में होने हैं। 2020 के चुनाव में भाजपा ने 70 में से 8 सीटें जीती थीं, लेकिन एससी आरक्षित सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई थी। आम आदमी पार्टी ने सभी 12 आरक्षित सीटों सहित 62 सीटें जीती थीं। इस बार लोकसभा चुनाव में सभी सात सीटें जीतने से उत्साहित भाजपा को उम्मीद है कि वह ढाई दशक बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी कर सकेगी।
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