प्राविधिक शिक्षा विभाग के अधीन संचालित राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में व्याख्याता (लेक्चरर) के रिक्त पड़े 2400 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के मानकों के अनुसार नई सेवा नियमावली न बन पाने की वजह से वर्ष 2018 से भर्ती पर रोक लगी हुई थी।
अब सेवा नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के बाद यह तकनीकी बाधा दूर हो गई है। प्रदेश में इस समय 150 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान हैं। इनमें व्याख्याता के पदों पर भर्ती उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है। पॉलीटेक्निक में व्याख्याता के कुल 3600 पद स्वीकृत हैं, जबकि मौजूदा समय में लगभग 1200 ही कार्यरत हैं। रिक्त पदों का अधियाचन प्राविधिक शिक्षा निदेशालय के माध्यम से आयोग को भेजा जाता है।
एआईसीटीई के विनियम-2010 के अनुसार बनी नई सेवा नियमावली में पदों की अर्हता और वेतनमान में भी बदलाव किया गया है। शासन ने तीन मई 2018 को ही शासनादेश जारी कर एआईसीटीई के विनियम-2010 को स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन उसके अनुसार नियमावली बनने में तीन साल लग गए। नई नियमावली में पदों के वेतनमान में बढ़ोत्तरी की गई है। साथ ही विशिष्ट योग्यता पर अतिरिक्त लाभ के प्रावधान किए गए हैं।
अब त्रि-स्तरीय होगा शैक्षिक ढांचा
एआईसीटीई के अनुसार बनी नई नियमावली में पॉलीटेक्निक संस्थाओं में शैक्षिक संवर्ग में त्रि-स्तरीय ढांचा लागू किया गया है। इसके तहत अब केवल व्याख्याता, विभागाध्यक्ष और प्रधानाचार्य के पद होंगे। पहले चार स्तरीय ढांचा लागू था, जिसमें व्याख्याता के बाद वरिष्ठ व्याख्याता का भी पद था। अब वरिष्ठ व्याख्याता का समाप्त कर दिया गया है। व्याख्याता पदनाम में ही अब वेतनमान के आधार पर प्रोन्नति के तीन अवसर मिलेंगे। इसे व्याख्याता (वरिष्ठ वेतनमान), व्याख्याता (चयन ग्रेड-1) व व्याख्याता (चयन ग्रेड-2) कहा जाएगा। इसके बाद विभागाध्यक्ष व प्रधानाचार्य का पद होगा। विभागाध्यक्ष के पद पर केवल सीधी भर्ती से चयन होगा,जबकि प्रधानाचार्य के पद पर प्रोन्नति के साथ-साथ सीधी भर्ती का भी प्रावधान होगा।
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