चंबल की रहने वाली दीक्षा बनी ITBP में असिस्टेंट कमाडेंट
सेना अधिकारी बनने के लिए दीक्षा ने चेन्नई में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी थी। अधिकारी बनने के बाद दीक्षा अपने गृह जिले इटावा पहुंची जहां पर एक स्कूल मे दीक्षा और उनके परिवार को स्वागत किया गया ।दीक्षा ने बताया कि वह शुरू से ही फील्ड जॉब करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने आइटीबीपी को चुना । उनके पिता कमलेश कुमार ने भी प्रेरणा दी । वह आइटीबीपी पिथौरागढ़ उत्तराखंड में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। दीक्षा ने संघ लोक सेवा आयोग की सेंट्रल आर्म्ड पुलिसबल की परीक्षा वर्ष 2018 में दी थी। वर्ष 2019 में परीक्षा परिणाम आने के बाद जुलाई 2020 में मसूरी में ट्रेनिंग शुरू हुई थी।
Starting the day with this heartwarming picture of a father saluting his officer daughter with so much pride and happiness. Inspector Kamlesh Kumar from ITBP saluted his daughter Assistant commandant Diksha after the Passing out Parade at ITBP Academy, Mussoorie @ITBP_official pic.twitter.com/63TYG9yprI
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) August 11, 2021
दीक्षा ने बताया कि उसने दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय सेक्टर-8 आरकेपुरम से कक्षा सात तक पढ़ाई की थी। उसके बाद कक्षा आठ से 11 तक केंद्रीय विद्यालय लवासना मंसूरी, कक्षा 12 केंद्रीय विद्यालय इंडियन मेडिकल एकेडमी देहरादून से किया। वर्ष 2011 से 2015 तक बीटेक एनआइआइटी श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से कंप्यूटर साइंस से किया। उसके बाद चेन्नई की एक कंपनी में नौकरी लग गई थी। दो साल बाद ही वर्ष 2०17 में नौकरी छोड़कर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। दीक्षा मसूरी एकेडमी में एक साल की ट्रेनिंग का अनुभव बेहद शानदार रहा। वह इसका उपयोग जनता की सेवा में करेंगी।आईटीबीपी की नवनियुक्त असिस्टेंट कमांडेंट दीक्षा ने कहा कि इस सेवा में जाने की प्रेरणा उन्हें इंस्पेक्टर पिता कमलेश कुमार से मिली। वह 32 साल से आईटीबीपी में बतौर इंस्पेक्टर नौकरी कर रहे हैं। इस समय वह पिथौरागढ़ में तैनात हैं।
पिता कमलेश कुमार ने कहा बेटी को मिली कामयाबी को जिंदगी भर नहीं भूल सकते। बेटी पर बेहद गर्व है। उनका बचपन संघर्ष भरा रहा। आईटीबीपी में जाना सौभाग्य रहा। वह जो न कर सके उसे बेटी दीक्षा ने कर दिखाया। बेटियां किसी से कम नहीं हैं। बेटियों का जो मन करे उन्हें करने दिया जाए, ताकि बेटियां आगे बढ़ती रहें। मां ऊषा देवी ने कहा कि दीक्षा ने पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।दीक्षा को मिली इस बड़ी कामयाबी से इटावा के लोग खुश हैं। इस छोटे से जिले की एक बेटी के देश की सीमा की रखवाली करने की जिम्मेदारी करने से लोगों का सीना गर्व से ऊंचा हो गया है। दीक्षा के गांव पछायगांव के अलावा शहर की विकास कालोनी के लोगों में हर्ष व्याप्त है।
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