प्रशस्त-2 ऐप लॉन्च: शिक्षा विभाग ने दिव्यांग बच्चों की पहचान से प्रशिक्षण तक की प्रक्रिया को किया सरल, सामान्य और विशेष शिक्षक पहली बार एक ही प्लेटफॉर्म पर
बूंदी. सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की पहचान अब एप के जरिए आसानी से होगी। यानि एप की मदद से अब सामान्य शिक्षक भी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान कर सकेंगे। इस एप के जरिए दिव्यांग बच्चों के मूल्यांकन, पहचान एवं आवश्यक शिक्षण एवं प्रशिक्षण में मदद मिलेगी।पहले केवल विशेष शिक्षक ही इस प्रक्रिया को अंजाम देते थे, जिससे दिव्यांग बच्चों की पहचान सीमित रह जाती थी। इसके लिए सभी संदर्भ व्यक्ति, विशेष शिक्षकों एवं सामान्य शिक्षकों द्वारा प्रशस्त 2.0 एप को इंस्टॉल कर रजिस्ट्रेशन किया जाना है। समावेशी शिक्षा को नई दिशा देने के उद्देश्य से शिक्षा मंत्रालय ने यह एप लॉन्च किया है। इस संबंध में राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर सभी संस्था प्रधानों को अपने विद्यालय के शिक्षकों को प्रशस्त एप पर रजिस्ट्रेशन करवाने के निर्देश दिए गए है। इस एप के जरिए दिव्यांग बालक-बालिकाओं की सभी जानकारी का संकलन होगा। जिससे विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाओं को संबलन प्रदान करने में सुगमता होगी। बूंदी जिले में कक्षा 1 से 12 वीं तक में 1486 विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाएं अध्ययन है।
शिक्षकों को करना होगा मूल्यांकन
इस एप के जरिए अपने नाम की तरह दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए शिक्षा की राह को प्रशस्त करेगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से विकसित यह एप पूरे देश में लागू किया गया है। इस एप के माध्यम से शिक्षकों को एक मानक चेक लिस्ट दी जाएगी, जिससे वे कक्षा में पढ़ रहे विद्यार्थियों में संभावित दिव्यांगता का प्रारंभिक मूल्यांकन कर सकेंगे। इससे विशेष शिक्षकों की कमी के बावजूद अब कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों के आरपीडब्ल्यूडी एक्ट- 2016 के अंतर्गत दिव्यांगता की समस्त 21 श्रेणियां की स्क्रीनिंग को लेकर चेक लिस्ट दी जाएगी ।
आंकडे में समझे रजिस्ट्रेशन
यूडाईएस 2025 के अनुसार देशभर में 1 करोड़ शिक्षक और 24.69 करोड़ विद्यार्थी पंजीकृत हैं, लेकिन अब तक केवल 4.77 लाख शिक्षकों ने ही एप पर रजिस्ट्रेशन करवाया है। प्रदेश में अब तक 56 हजार 473 विद्यार्थी और 11 हजार 315 शिक्षक पंजीकृत हो चुके हैं।पहले चरण में संबंधित शिक्षक विद्यार्थी की दिव्यांगता की पहचान कर प्राथमिक रिपोर्ट तैयार करेगा। दूसरे चरण में यह रिपोर्ट विद्यालय के प्रधानाध्यापक की ओर से सत्यापित कर उच्चाधिकारी को भेजी जाएगी। तीसरे चरण में जिला स्तर पर विशेषज्ञों की ओर से अंतिम जांच की जाएगी और योग्य विद्यार्थी को विशेष शिक्षकों से जोड़ दिया जाएगा। जो उनकी आगे की काउंसिलिंग में सहयोग करेंगे। प्रशस्त एप में 21 तरह की दिव्यांगताओं के लिए कुल 63 प्रश्नों की चेक लिस्ट तैयार की गई है। इसमें क्रोननबैक अल्फा वैल्यू 0.801 रखी गई है, जो इसकी वैज्ञानिक गुणवत्ता को दर्शाती है।
शीघ्र पहचान के साथ इलाज संभव
एप के माध्यम से विद्यार्थियों की शीघ्र पहचान और प्राथमिक उपचार संभव होगा। जिला समावेशी शिक्षा समन्वयक समग्र शिक्षा डॉ. महेश कुमार गोस्वामी ने बताया कि इस एप के उपयोग से जिले के समस्त दिव्यांग बच्चों विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की शीघ्र पहचान एवं उनको आवश्यकता अनुसार सुविधाएं संसाधन उपलब्ध कराने एवं उनको समाज के मुख्य धारा में जोड़ने में शिक्षकों के लिए आसानी होगा। शिक्षा मंत्रालय का यह कदम दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा और प्रभावशाली प्रयास माना जा रहा है, जो समावेशी शिक्षा की नई शुरुआत है।
इनका कहना है
जिले में वर्तमान में 95 विशेष शिक्षक कार्यरत है। यह एप दिव्यांग बच्चों के मूल्यांकन, पहचान एवं आवश्यक शिक्षण एवं प्रशिक्षण में अत्यंत प्रभाव कार्य होगा।-दलीप सिंह गुर्जर, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा बूंदी
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