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रविवार, 1 अगस्त 2021

अदालत ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए RPWD कानून के तहत रिक्तियों, आरक्षण का ब्योरा मांगा



 अदालत ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए RPWD कानून के तहत रिक्तियों, आरक्षण का ब्योरा मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से कहा है कि वह एक हलफनामा दाखिल कर सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2020 के लिए दिव्यांगजन अधिकार कानून के अनुसार अधिसूचित रिक्तियों की कुल संख्या और आरक्षण का ब्योरा उपलब्ध कराए।अदालत दिव्यांगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले संगठनों की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसमें आरोप लगाया गया कि दृष्टिहीन व्यक्तियों और कई तरह की अशक्तता वाले लोगों के लिए सीटें दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) कानून 2016 के अनुसार आरक्षित नहीं की गई।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को मामले में सुनवाई की अगली तारीख दो अगस्त से पहले एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का समय दिया। डीओपीटी की ओर से केंद्र सरकार के वकील अभय प्रकाश सहाय ने कहा कि सीएसई 2020 के लिए अधिसूचित अंतिम रिक्तियां 836 हैं, जिनमें से 251 रिक्तियों में कोई आरक्षण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि शेष 585 रिक्तियों में से 24 को आरक्षित किया गया है और इस प्रकार आरक्षण कानून की धारा 34 (1) के आदेश के अनुसार है, जो कि चार प्रतिशत है।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले केंद्र, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और डीओपीटी से उस याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की घोषणा करने वाले नोटिस को रद्द करने और परिणामों की घोषणा पर इस आधार पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया गया था कि दृष्टिहीन और कई तरह की अशक्तता वाले व्यक्तियों के लिए पर्याप्त सीटें आरक्षित नहीं की गई हैं।याचिकाकर्ता संगठन इवारा फाउंडेशन ने दलील दी है कि इन व्यक्तियों के लिए विज्ञापित रिक्तियों की अपर्याप्त संख्या के कारण, इन दो श्रेणियों से संबंधित कम उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करेंगे।

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