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शनिवार, 7 अगस्त 2021

RRB RRC Group D Exam 2021 : रेलवे ग्रुप डी भर्ती के अभ्यर्थियों को राहत नहीं, कैट ने आरआरसी के विवेक पर छोड़ा फैसला



 RRB RRC Group D Exam 2021 : रेलवे ग्रुप डी भर्ती के अभ्यर्थियों को राहत नहीं, कैट ने आरआरसी के विवेक पर छोड़ा फैसला

RRB RRC Group D Exam 2021 : रेलवे ग्रुप डी परीक्षा में आवेदन के दौरान साढ़े चार लाख छात्रों के फार्म निरस्त करने के मामले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद ने मामले में आवेदकों को राहत देने से इनकार कर दिया है। न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी एवं प्रशासनिक सदस्य तरुण श्रीधर की बेंच ने प्रकरण निस्तारित करते हुए कहा कि इस स्तर पर कोई भी हस्तक्षेप पहले से निर्धारित प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।  

हालांकि कैट ने निम्नतम स्तर के पदों के आवेदन को देखते हुए अभ्यर्थियों को आरआरसी से एक बार फिर संपर्क करने की छूट दी है और इस मामले में उचित निर्णय आरआरसी के विवेक पर छोड़ दिया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कैट ने कहा कि और अपर्याप्तता को मामूली तकनीकी दोष नहीं कहा जा सकता है, जिसे माफ किया जा सकता है। आवेदकों ने विस्तृत निर्देशों का पालन करने की परवाह नहीं की है, जो आवेदन जमा करने के संबंध में दिए गए थे। तस्वीर और हस्ताक्षर अपलोड करने के सीमित मुद्दे पर, अगर पिक्सल या डॉट्स प्रति इंच (डीपीआई) के बीच एक छोटी सी विसंगति थी, तो इसे अनदेखा किया जा सकता था। आवेदकों ने ठीक से क्लिक तस्वीरें अपलोड करने का प्रयास करने की भी परवाह नहीं की है। हम रेलवे की ओर से किसी भी मनमानी के तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने अभ्यर्थियों को अस्वीकृति के मामले में प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया था और कई उम्मीदवारों के आवेदन फॉर्म की समीक्षा की और उन्हें स्वीकार किया। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान आवेदक आवेदन की अनिवार्य आवश्यकताएं पूरा करने में विफल रहे हैं।

आवेदकों ने रखे थे अपने तर्क

सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से कहा गया कि विभिन्न समूह घ पदों के लिए चयन परीक्षा में बैठने के लिए उनके आवेदनों को बहुत ही मामूली तकनीकी आधार जैसे फोटो और हस्ताक्षर तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार नहीं होने पर अस्वीकार कर दिया गया। याचिकाकर्ता राकेश यादव के अधिवक्ता सिद्धार्थ मिश्र का तर्क था कि आवेदन पत्र ऑनलाइन भरे जाने थे और आवेदन समूह घ पदों के लिए हैं इसलिए अति तकनीकी आपत्तियां खारिज की जानी चाहिए थी। 

एक करोड़ में अस्वीकृति चार लाख

दूसरी ओर रेलवे के अधिवक्ता का कहना था कि एक करोड़ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं जबकि अस्वीकृति केवल चार लाख है, जो कुल प्राप्त आवेदनों के चार प्रतिशत से भी कम हैं। उनका कहना था कि यदि वर्तमान आवेदकों को एक संशोधन लिंक की अनुमति दी जाती है, तो प्रक्रिया प्रभावित होगी।

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