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गुरुवार, 11 नवंबर 2021

सरकार ने बहाल की सांसद निधि, इस साल मिलेंगे दो-दो करोड़, 2022-23 से जारी होंगे पांच-पांच करोड़ रुपये



 सरकार ने बहाल की सांसद निधि, इस साल मिलेंगे दो-दो करोड़, 2022-23 से जारी होंगे पांच-पांच करोड़ रुपये

सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए दी जाने वाली सांसद निधि केंद्र सरकार ने फिर से बहाल कर दी है। चालू वित्तीय वर्ष में सभी सांसदों को (लोकसभा व राज्यसभा के सदस्यों) दो-दो करोड़ रुपये दिए जाएंगे। वहीं अगले वित्तीय वर्ष से यानी वर्ष 2022-23 से सभी सांसदों को पहले की तरह वर्ष में पांच-पांच करोड़ दिए जाएंगे। यह राशि उन्हें ढाई-ढाई करोड़ की दो किस्तों में दी जाएगी। कोरोना संकट के दौरान आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने सांसद निधि पर रोक लगा दी थी।

मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) को बहाल करने की मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत ही सभी सांसदों को क्षेत्र के विकास के लिए मौजूदा समय में पांच-पांच करोड़ रुपये साल में दिए जा रहे थे। कोरोना काल की आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए इस योजना को दो साल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। बाद में स्थितियां सामान्य पर विपक्षी दलों के सांसदों ने इसे बहाल करने की मांग की।

वित्तीय मंजूरी भी दी गई है

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने के लिए वित्तीय मंजूरी भी दे दी गई है। इन सालों में इस स्कीम पर कुल 17,417 करोड़ खर्च होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सांसद निधि का इस्तेमाल कोरोना संकट काल में उनके क्षेत्र में ही आक्सीजन प्लांट लगाने और दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं को ही जुटाने पर खर्च किया गया

इन कार्यों पर कर सकते हैं खर्च

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से सांसदों को मुहैया कराई जाने वाली इस राशि का इस्तेमाल पर अपने क्षेत्र में सड़क, स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छ पीने का पानी मुहैया कराने, स्कूल का बुनियादी ढांचा बेहतर करने आदि पर खर्च कर सकते हैं। इस योजना में वह हर साल अपने क्षेत्र में पांच करोड़ की लागत के ऐसे काम करा सकते हैं। फिलहाल यह योजना वर्ष 1993 से चल रही है।

सरकार 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाएगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले वीर आदिवासियों के योगदान को याद किया जाएगा। खास बात यह है कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी 15 नवंबर को ही मनाई जाती है। ऐसे में यह दिन अब आदिवासी और जनजातियों के एक अहम दिन होगा।

रूपरेखा तैयार 

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक दिवस हर साल राज्यों के साथ मिलकर धूमधाम से मनाया जाएगा। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। वहीं स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले आदिवासियों और जनजातियों के उल्लेखनीय योगदान को याद भी किया जाएगा। इस दौरान 15 से 22 नवंबर तक चलने वाले एक साप्ताहिक कार्यक्रम की भी योजना बनाई गई है। 

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