एलटी अंग्रेजी भाषा के चयनित को अपर शिक्षा निदेशक ने बुलाया लेकिन नियुक्ति का मसला हल नहीं
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एलटी-2018 भर्ती परीक्षा में चयनित अंग्रेजी भाषा के अभ्यर्थी फुटबाल बने हुए हैैं। नियुक्ति पाने के लिए अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय नियमावली का हवाला देकर अंग्रेजी भाषा को अंग्रेजी साहित्य के समकक्ष न मानकर चयनितों को नियुक्ति नहीं दे रहा है, जबकि आयोग ने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की समकक्षता प्रमाणित होने की विषय विशेषज्ञों के पैनल की रिपोर्ट को कोर्ट में दाखिल कर अभ्यर्थन को उचित माना है।
बुलाया जरूर लेकिन कोई हल नहीं निकाला मसले का
अपर शिक्षा निदेशक (एडी) राजकीय अंजना गोयल ने मामले का निस्तारण करने के लिए चयनित अभ्यर्थी वत्सला जायसवाल को बुलाया था, लेकिन कोई हल नहीं निकला।वर्ष 2018 की एलटी भर्ती परीक्षा में अंग्रेजी को छोड़कर अन्य विषयों में भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। भर्ती विज्ञापन में अंग्रेजी विषय मामले में योग्यता अंग्रेजी साहित्य या समकक्ष निर्धारित थी। इस पर अंग्रेजी भाषा के अभ्यर्थी भी परीक्षा में सम्मिलित हुए। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अंग्रेजी भाषा में करीब 20 अभ्यर्थियों का चयन कर सूची माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को भेज दी। अपर शिक्षा निदेशक ने नियमावली का हवाला देकर अंग्रेजी भाषा को अंग्रेजी साहित्य के समकक्ष न मानकर सूची आयोग को लौटा दी। इसके बाद कोर्ट गए अभ्यर्थियों ने आयोग के निर्देश पर अंग्रेजी भाषा को समकक्ष होने का इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र सौंपा। आयोग ने विषय विशेषज्ञों के पैनल की रिपोर्ट के आधार पर अभ्यर्थन उचित होने की रिपोर्ट कोर्ट में भी सौंपी।
कोर्ट में ही लड़ी जाएगी यह लड़ाई
इस मामले में चयनित गजेंद्र सिंह बुंदेला, सुमन, ईश्वर दयाल, वत्सला जायसवाल सहित कई अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में हैैं। वत्सला को बुधवार को निदेशालय प्रयागराज में बुलाए जाने पर अन्य अभ्यर्थी भी आवेदन लेकर पहुंच गए, लेकिन अपर निदेशक ने अन्य के आवेदन नहीं लिए। सिर्फ वत्सला के आवेदन पर फिर पुरानी बात दोहराई, जिस पर वत्सला ने कहा कि यह बातें तो पूर्व में हो चुकी हैैं, फिर प्रकरण निस्तारण के लिए बुलाए जाने का क्या औचित्य है।वहीं, अभ्यर्थी गजेंद्र सिंह बुंदेला ने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों को परेशान किया जा रहा है। उनके मुताबिक कन्टेंम्ट आफ कोर्ट में आयोग और निदेशालय को नोटिस जारी किया गया है। आयोग और निदेशालय के जवाब के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी।
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