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मंगलवार, 18 जनवरी 2022

कारोबार को झटका: इंटरमीडिएट के मॉडल और गेस पेपर पर कोरोना का पहरा



 कारोबार को झटका: इंटरमीडिएट के मॉडल और गेस पेपर पर कोरोना का पहरा

इंटरमीडिएट के मॉडल और गेस पेपर को कोरोना का ग्रहण लग गया है। परीक्षा को मात्र 12 दिन बाकी हैं लेकिन अभी तक गेस पेपर आदि की 40 फीसदी भी बिक्री नहीं हुई है। जबकि इस बार छात्रों की संख्या घटी नहीं है बल्कि कुछ बढ़ी ही है। इस करीब 45 हजार अभ्यर्थी परीक्षा देंगे।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जाने वाली मैट्रिक और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा के अधिकतर परीक्षार्थी मुख्य रूप से गेस पेपर, मॉडल पेपर, प्रश्न बैंक और 'एटम बम' का इस्तेमाल कर तैयारी करते हैं और परीक्षा देते हैं। ये पेपर तीन महीने पहले से आने लगते हैं और छात्र इसे खरीद लेते हैं। इन पत्रिकाओं का 90 फीसदी कारोबार परीक्षा के एक महीने पहले ही हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। एक फरवरी से इंटरमीडिएट की परीक्षा है और ये पेपर अभी तक मात्र 30 से 40 फीसदी तक ही बिकी हैं।

पांच करोड़ से अधिक का है कारोबार

प्रत्येक पेपर का एटम बम 25 रुपए में, गेस पेपर 50 रुपए में, मॉडल पेपर 100 रुपए में और प्रश्न बैंक 150 रुपए में मिलता है। प्रत्येक छात्र पांच पेपर की परीक्षा देता है और अधिकतर छात्र-छात्राएं ये सभी पत्रिकाएं खरीदते ही हैं। यदि 40 हजार परीक्षार्थी भी इसे खरीदते हैं तो प्रत्येक साल करीब पांच करोड़ रुपए से अधिक की ये पत्रिकाएं बिकती हैं। बहुत कम ही छात्र होते हैं जो परीक्षा के एक सप्ताह पहले एटम बम खरीदकर परीक्षा में बैठते हैं।

मंगाई गई अधिकतर गेस पेपर दुकानों में

पुस्तक विक्रेता साहिल खान ने बताया कि इस बार इन पत्रिकाओं के नहीं बिकने के कारण ही अभी तक एटम बम नहीं आया है। इस बार मंगाई हुई अधिकतर पत्रिकाएं रखी हुई हैं। कहा कि इस विवि क्षेत्र में रहने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर गांव चले गये हैं। वे यहां नहीं हैं इसलिए ये पत्रिकाएं नहीं बिकी हैं। हो सकता है परीक्षा के तीन-चार दिन पहले खरीदें। लेकिन अभी तक खरीद नहीं होने के कारण नया माल नहीं मंगा रहे हैं और रखा हुआ माल भी फंसा हुआ है। थोक पुस्तक विक्रेता सुनील लाठ ने कहा कि इन पत्रिकाओं का बिक्री बहुत कम हो गई है।

गांव में हैं साथी, आयेंगे तो गेस पेपर लेंगे

किताब की दुकान में अपने भाई के लिए गेस पेपर लेने आये पीरपैती के संजीव कुमार ने बताया कि वह शहर आये थे तो छोटे भाई के लिए गेस पेपर लेना चाहते हैं। कई छात्र अभी गांव लौट गये हैं। वे लोग परीक्षा के दो तीन दिन पहले आयेंगे तो गेस पेपर खरीदेंगे। एक अन्य छात्र राहुल ने कहा कि वह भी गांव में ही रह कर पढ़ाई कर रहे हैं। यहां कमरा लेकर रहते थे लेकिन कोरोना के कारण गांव चले गये थे। सिर्फ गेस पेपर लेने आये थे। उनके बहुत से दोस्तों ने अभी तक गेस पेपर नहीं खरीदे हैं।

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