सीसीएसयू जल्द कराएगा PhD एंट्रेंस, UGC NET JRF पास न कर सके पीजी छात्रों को राहत
नेट-जेआरएफ ( UGC NET ) श्रेणी के दायरे से बाहर और पीजी करने के बाद पीएचडी ( PhD ) करने के इच्छुक छात्र-छात्राओं को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्याय छह साल बाद बड़ी राहत देने जा रहा है। विवि मेरठ-सहारनपुर मंडल के कॉलेजों के लिए जल्द ही पीएचडी एंट्रेंस कराएगा। विवि ने नए नियमों से रिसर्च गाइड बनाते हुए रिक्त सीटों की संख्या तय कर दी है।
विभिन्न विषयों में करीब दो हजार सीटों पर पीएचडी में प्रवेश के लिए टेस्ट संभावित हैं। हालांकि नोटिफिकेशन से पहले तक सीटों की संख्या में कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के अनुसार विवि टेस्ट के लिए तैयार है। जल्द ही ऑर्डिनेंस तैयार कर राजभवन को भेजा जा रहा है। अनुमोदन होते ही विवि प्रक्रिया शुरू कर देगा। कुलपति के अनुसार विवि रिसर्च का दायरा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अभी तक केवल मुक्त श्रेणी के छात्रों को मौका
विवि में फिलहाल मुक्त श्रेणी के छात्रों को ही पीएचडी करने का प्रावधान है। मुक्त श्रेणी से तात्पर्य सीसीएसयू से एमफिल उत्तीर्ण, यूजीसी नेट-जेआरएफ, केंद्र पोषित संस्थानों से फेलोशिप प्राप्तकर्ता एवं सैन्य अधिकारी को टेस्ट की जरूरत नहीं है। ये सीधे पीएचडी में पंजीकृत हो सकते हैं। पीएचडी में पंजीकरण की न्यूनतम अर्हता पीजी है। ऐसे में पीजी करने के बावजूद हजारों छात्र नेट-जेआरएफ पास नहीं कर पाए और विवि में पीएचडी टेस्ट हुआ नहीं। इससे छात्र केवल इंतजार करते रहे।
मुक्त श्रेणी के छात्रों की भी बनेगी मेरिट
विवि ने जो ऑर्डिनेंस तैयार किया है उसमें मुक्त श्रेणी में शामिल छात्रों को अब मेरिट से गुजरना होगा। ऐसे छात्रों को अब सौ नंबर के इंट्रेक्शन से प्राप्त अंकों की मेरिट से प्रवेश का प्रस्ताव दिया गया है। अभी तक इन छात्रों की मेरिट पीजी के आधार पर बनती है। विवि से एमफिल छात्रों को 55 फीसदी नंबर जरूरी होंगे। एससी-एसटी, ओबीसी छात्रों को अंकों में पांच फीसदी छूट का प्रस्ताव है।
पार्ट-टाइम पीएचडी छात्रों के लिए नहीं
विवि में छात्रों के लिए पार्ट-टाइम पीएचडी का लाभ नहीं मिलेगा। इसके दायरे में केवल नौकरीपेशा शिक्षक आएंगे। स्थायी शिक्षकों को इसमें मौका देने का प्रस्ताव है। प्राइवेट जॉब करने वाले और छात्रों को पार्ट-टाइम पीएचडी की अनुमति नहीं होगी। विवि ने सेल्फ फाइनेंस शिक्षकों को भी पीएचडी कराने के दायरे में रखने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि ये लागू होंगे या नहीं यह कुलाधिपति के अनुमोदन पर निर्भर करेगा।
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