Allahabad High Court: वर्ष 2018 के सहायक अध्यापक भर्ती मामले में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2018 में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में मेधावी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों (एमआरसी) को उनकी प्राथमिकता के जिलों में नियुक्ति देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एमआरसी अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन पर दो माह में जिला आवंटन की प्रक्रिया पूरी की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने नवनीत कुमार और 306 अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया है। यह भी कहा कि इस निर्णय को नजीर नहीं माना जाएगा।
न्यायालय ने याचीगण के निर्णय के आधार पर दिया आदेश
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ओपीएस राठौर का तर्क था कि हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पूर्व में अमित शेखर भारद्वाज सहित सैकड़ों की अपीलों पर एमआरसी अभ्यर्थियों को उनकी पसंद का जिला आवंटित करने का आदेश दिया है। याचीगण द्वारा भी इसी मांग को लेकर याचिकाएं दाखिल की हैं। हालांकि उनका मामला अमित भारद्वाज व अन्य की अपील लंबित होने के कारण निस्तारित नहीं हो सका। अब चूंकि विशेष अपील पर फैसला आ चुका है। इसलिए याचीगण की भी मांग पूरी की जाए। न्यायालय ने याचीगण अमित भारद्वाज केस के निर्णय के आधार पर देने का आदेश दिया है।
अभ्यर्थियों की ओर से यह दलील दी गई
अभ्यर्थियों की ओर से कहा गया कि 2018 मे बोर्ड ने रिक्तियों की संख्या 68500 से घटाकर 41556 कर दी थी और दो चरणों में काउंसलिंग कराई गई। पहले चरण में 35420 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग हुई जबकि दूसरे चरण में 6136 की काउंसलिंग की गई। दूसरी काउंसिलिंग की मेरिट में नीचे रहने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए जबकि पहली काउंसिंलिंग में शामिल अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता का जिला नहीं दिया गया, जो भेदभावपूर्ण है।
कहा गया कि जब चयन प्रक्रिया एक ही होने पर बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता और चयन प्रक्रिया को दो हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता। कहा गया कि बोर्ड ने मनमाने तरीके से शासनादेश के विपरीत जिलेवार रिक्तियों की संख्या घटा दी और अपेक्षित जिलों फतेहपुर, चंदौली, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती में रिक्तियों की संख्या को बढ़ा दी और पद खाली रह गए। क्योंकि दूसरी काउंसलिंग में शामिल अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए थे।
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