हाईकोर्ट : स्टाफ नर्स के रिक्त 1729 पदों को नया विज्ञापन जारी कर भरने पर रोक बरकरार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश द्वारा स्टाफ नर्स/सिस्टर ग्रेट दो के पदों पर चयन को लेकर उठे विवाद में दाखिल याचिकाओं पर सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुलाई के तीसरे सप्ताह में मुकदमे को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि सरकार स्टाफ नर्स के रिक्त 1729 पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी न करे। यह आदेश जस्टिस राजीव जोशी ने याची प्रीति पटेल व कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद पारित किया।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता समीर शर्मा, अजय त्रिपाठी, एसके शुक्ला व एसपी पांडे ने कोर्ट में पक्ष रखा। सरकार की तरफ से सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि स्टाफ नर्स की भर्ती में अनुभव प्रमाण पत्र के वैधता की जांच के लिए सरकार ने 28 अप्रैल 2022 को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति लगभग 15000 अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्र की जांच के लिए गठित की गई है। सरकार ने इस कमेटी से अपेक्षा की है कि वह 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट दे।
भर्ती को लेकर लगाया गया था गंभीर अनियमितता का आरोप
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता का कहना था स्टाफ नर्स की भर्ती तीन सरकारी विभागों में होनी है। इसमें चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग, यूपी मेडिकल एंड हेल्थ सर्विसेज व केजीएमयू लखनऊ शामिल है। याचिकाओं में मांग की गई है याची गणों को स्टाफ नर्स के 1729 रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए और इन पदों को आगे भरने के लिए कैरी फॉरवर्ड न किया जाए। याचिकाओं में इस भर्ती को लेकर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया गया है।
पहले निकाला गया था विज्ञापन
उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा स्टाफ नर्स भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। अंतिम परिणाम घोषित करने के साथ ही यह भर्ती विवादों में आ गई। प्रीति पटेल एवं अन्य द्वारा दाखिल याचिका में विभिन्न संस्थानों द्वारा निर्गत अनुभव प्रमाण पत्र को मान्यता न देना तथा कई अन्य रिट याचिकाओं में कटऑफ से ज्यादा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को अंतिम सफल परिणाम में शामिल न करना मुख्य विवाद है।
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