पुरानी पेंशन की मांग और निजीकरण के खिलाफ पूरे देश के कर्मचारी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे इसको लेकर 16 दिसंबर को बैठक बुलाई
पुरानी पेंशन की मांग और निजीकरण के खिलाफ पूरे देश के कर्मचारी केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे। इसको लेकर 16 दिसंबर को बैठक बुलाई है। हालांकि इससे पहले 30 नवंबर को केंद्र सरकार ने दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली कर्मचारियों की रैली को अनुमति नहीं दी है। इससे कर्मचारियों ने सरकार के प्रति नाराजगी जताई है।
कर्मचारी नेता अतुल मिश्रा ने बताया कि 16 दिसंबर को इप्सेफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नई दिल्ली में होगी। रामलीला ग्राउंड में रैली के अनुमति नहीं दी इप्सेफ ने इसकी निंदा की है। 16 दिसंबर को बैठक के बाद आंदोलन की घोषणा की जाएगी। दोनों बिन्दुओं पर कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय करने की अपील की है। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने बताया कि मांगों पर आंदोलन करने पर विचार करके निर्णय लेने की प्रबल संभावना है। उन्होंने 30 नवंबर को इप्सेफ की रैली की अनुमति न देने की निंदा की है। राज्यसभा लोकसभा सदस्यों को ज्ञापन देकर दोनों मांगों पर समर्थन देकर पूरा कराने का अनुरोध किया गया था। सत्ताधारी दल के किसी भी सांसद ने समर्थन नहीं किया।
चुनाव में दिखेगी नाराजगी
बीपी मिश्रा ने कहा है कि देश भर के केंद्रीय राज्य के सभी वर्ग के कर्मचारी शिक्षक शिक्षणेत्तर एवं सार्वजनिक निगमों के कर्मचारी दोनों मांगों पर कर्मचारी पक्ष में आंदोलन करने के लिए तैयार बैठे हैं। उनकी नाराजगी का असर चुनाव में भी दिखेगा।प्रेमचंद्र ने कहा कि कर्मचारियों की नाराजगी सभी राज्य में दिखाई देने लगी है क्योंकि गैर बीजेपी राज्य सरकारों में पुरानी पेंशन बहाली एवं संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा सरकार को छोड़कर किसी बीजेपी सरकार ने महंगाई भत्ते की किस्त एवं बोनस का भुगतान दीपावली पर नहीं कराया है। इप्सेफ ने नारा दिया है कि करो या मरो संगठन दोषी नहीं होगा उन्होंने कहा है कि नियमित कर्मचारियों की भी हालत इस भीषण महंगाई में दयनीय है। संविदा कर्मचारियों की हालत और खराब हो गई है।
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