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शुक्रवार, 22 मार्च 2024

विद्यार्थियों के आधार प्रमाणन की कोशिशें ‘तमाम’, 62 फीसदी पर अटका आंकड़ा, बार बार निर्देशों के बाद भी शत-प्रतिशत विद्यार्थियों का आधार प्रमाणीकरण नहीं



 विद्यार्थियों के आधार प्रमाणन की कोशिशें ‘तमाम’, 62 फीसदी पर अटका आंकड़ा, बार बार निर्देशों के बाद भी शत-प्रतिशत विद्यार्थियों का आधार प्रमाणीकरण नहीं


बीकानेर. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के बार-बार निर्देशों के बाद भी राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 88 लाख 56 हजार 403 विद्यार्थियों का आधार प्रमाणीकरण (ऑथेंटिकेशन) नहीं हो पा रहा है।माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी संस्था प्रधानों को 15 फरवरी तक सभी विद्यार्थियों की आधार सीडेड कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन निदेशालय की ओर से दी गई अंतिम तिथि तक भी 62 फीसदी विद्यार्थियों यानी 55 लाख 16 हजार 693 विद्यार्थियों के ही आधार प्रमाणीकरण हो पाए।हालांकि 91 फीसदी यानी 81 लाख 08 हजार 393 विद्यार्थियों के आधार नंबरों की प्रविष्टि पोर्टल पर की जा चुकी है, फिर ऐसे क्या कारण है कि पोर्टल पर आधार नंबर दर्ज होने के बाद भी आधार ऑथेंटिकेशन नही हो पा रहा। यह सवाल जानकारों की भी समझ से परे है।मौजूदा हालात में अब एक बार फिर निदेशालय ने संस्था प्रधानों को 30 अप्रेल तक शत-प्रतिशत विद्यार्थियों के आधार बैंक से लिंक कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि सभी बच्चों के अभिभावकों या स्वयं बच्चों के बैंक खातों में यूनिफॉर्म सिलाई की राशि 200 रुपए ट्रांसफर की जा सके।

यह अंतर ही कारण


विद्यार्थियों के आधार और स्कूल रिकार्ड में समानता होने पर ही आधार ऑथेंटिकेशन हो पाता है। संस्था प्रधान विद्यार्थी के पहले से स्कूल में दर्ज रिकार्ड में परिवर्तन नहीं कर सकते। बच्चों के आधार उनके अभिभावक बनवाते हैं। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावक अपने बच्चों के आधार तो बनवा लेते हैं, लेकिन उसमें दर्ज नाम, जन्मतिथि तथा लिंग में स्कूल रिकार्ड से अंतर होने से आधार नंबर तो पोर्टल पर दर्ज हो जाते हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें बैंक खाते से लिंक करने के प्रयास किए जाते हैं, रिकॉर्ड नॉट मैच या रिकॉर्ड नॉट फॉउंट का मैसेज आ जाता है।

दबाव में संस्था प्रधान


संस्था प्रधानों पर यह दबाव है कि वे आधार ऑथेंटिकेशन कराएं, जबकि ओटीपी अभिभावक ने जो मोबाइल नंबर दर्ज कराया है, उस पर आता है। ऐसे में जब तक अभिभावक उपस्थित नहीं रहता, तब तक ऑथेंटिकेशन संभव नहीं है। अगर नाम में अंतर है, तो अंतर होने का प्रमाण, स्कूल में दर्ज जन्मतिथि और आधार की जन्म तिथि में अंतर है, तो उसकी वजह देते हुए आधार में परिवर्तन कराना जरूरी है, जो अभिभावक को ही कराना होता है। कई बार अभिभावकों को समय नहीं मिलता, तो कई बार अन्य कारणों से इनमें से किसी में भी सुधार नहीं हो पाता।संस्था प्रधानों का कहना है कि अभिभावक जब तक स्कूल रिकार्ड के अनुसार आधार में दर्ज जानकारी में सुधार नहीं कराते, तब तक आधार ऑथेंटिकेशन संभव नहीं है।

क्या है आधार ऑथेंटिकेशन

दरअसल स्कूलों की ओर से विद्यार्थियों के आधार नंबर पोर्टल पर दर्ज करने के बाद उनके बैंक खाते को आधार नंबर से जोड़ना आधार सीडेड या आधार ऑथेंटिकेशन कहलाता है। सवाल उठता है कि जब आधार नंबर दर्ज है, तो बैंक खाते से क्यों नहीं जुड़ता? इसकी वजह ये होती है कि विद्यार्थियों के आधार और स्कूल रिकार्ड में भिन्नता होने से उनके बैंक खाते से लिंक नहीं हो पाता, जिससे जिन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलती है या जिन आठवीं तक के विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म की राशि उनके बैंक खाते में दी जानी है, वह ट्रांसफर नहीं हो पाती। इसलिए हर विद्यार्थी का आधार नंबर उसके बैंक खाते से मिलान होना जरूरी है।


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