बाहरी संस्था द्वारा निपुण बनने की परीक्षा शिक्षक संघों का बढ़ता विरोध
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को निपुण बनाने के लिए अब एक गैर सरकारी संस्था, सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन, को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इस कदम से शिक्षकों पर दबाव बढ़ेगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। लेकिन इस फैसले के खिलाफ शिक्षक संघों में तीव्र विरोध उभरा है।
क्या है निपुण भारत मिशन?
निपुण भारत मिशन का उद्देश्य प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के गणित और भाषा ज्ञान में सुधार लाना है। विभाग ने सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन को यह कार्य सौंपा है कि वह स्कूलों में निपुण भारत मिशन के दिशा-निर्देशों का पालन करवा कर यह सुनिश्चित करे कि बच्चों का ज्ञान बढ़ रहा है या नहीं। इसके साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि शिक्षक शिक्षण सामग्री का सही उपयोग कर रहे हैं या नहीं।
शिक्षक संघों का विरोध
फाउंडेशन की रिपोर्ट नवम्बर में समग्र शिक्षा परियोजना के निदेशक को प्रस्तुत की जाएगी। इस निर्णय के बाद शिक्षक संगठनों में गुस्सा बढ़ गया है। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ और उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था गैर सरकारी संस्था का स्कूल शिक्षा में हस्तक्षेप है और इससे प्रदेश के लाखों शिक्षकों की निष्ठा पर सवाल उठता है।शिक्षक संघों के नेताओं का कहना है कि यह निर्णय शिक्षकों और विभागीय अधिकारियों को अपमानित करने वाला है। उन्होंने सवाल उठाया है कि कोई भी संस्था बिना लाभ के निशुल्क रूप से ऐसा कार्य क्यों करेगी? संघ ने यह भी याद दिलाया कि विभाग में पहले से ही एआरपी, एसआरजी, बीईओ, डायट मेंटर, डायट प्रवक्ता, और बीएसए समेत कई अधिकारी मौजूद हैं, जो इस काम को संभाल सकते हैं।
आगे की कार्रवाई
शिक्षक संघों ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक से अपील की है कि वह इस आदेश को तुरंत निरस्त करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो प्रदेश भर के बेसिक शिक्षक विरोध प्रदर्शन और आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे।इस फैसले को लेकर समाज में भी चर्चा का माहौल है। कई लोगों का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह जरूरी है, जबकि शिक्षक संघ इसे शिक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं।
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