टोंक में सड़क की मांग पर बच्चों का अनोखा विरोध प्रदर्शन, हाई-टेंशन टावर पर चढ़ छात्र-छात्राओं ने प्रशासन की खोली आंख!
Tonk News: अपने गांव को सड़क से जोड़ने के लिए जिला मुख्यालय पर सोमवार को गुमानगंज गांव के स्कूली छात्र-छात्राएं स्कूल जाने की जगह अपने परिजनों के साथ जिला कलेक्टर से मिलने पहुंचे और गांव के सड़क से नहीं जुड़े होने की पीड़ा बताई. इस पर कलेक्टर ने सड़क निर्माण के लिए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. टोंक जिले के उनियारा उपखंड के गुमानगंज गांव में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की डगर बेहद कठिन है. आजादी के 78 साल बाद भी यह गांव सड़क से नहीं जुड़ा है. ऐसे में एक सप्ताह पहले गांव के बच्चों ने बिजली के निर्माणाधीन टॉवर पर चढ़कर सड़क की मांग के लिए प्रदर्शन किया था. आखिर कितना मुश्किल है गांव तक पहुंचना और घर से स्कूल तक का सफर!सड़क को लेकर गांव के लोगों ने कई बार अपने प्रतिनिधियों विधायक, सांसद और सरपंच के समक्ष फरियाद लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस मानसून सत्र में जब मुसीबतों का पानी सिर के ऊपर से बहने लगा, तो स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं ने अपनी आवाज सरकार और प्रशासन के कानों तक पहुंचाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया. पिछले मंगलवार को उन्होंने गांव में सड़क नहीं होने से शिक्षा की कठिन डगर से निजात पाने के लिए बिजली के निर्माणाधीन टॉवर पर चढ़कर प्रदर्शन किया था.
इस मामले में पुलिस ने गांव पहुंचकर समझाइश दी और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराते हुए सात दिन में आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया. लेकिन छात्रों का कहना है कि वे अब तक विधायक, सांसद और सरपंच तक अपनी बात रख चुके हैं, फिर भी सुनवाई नहीं हो रही है.टोंक जिले के उनियारा उपखंड की ग्राम पंचायत शिवराजपुरा के ग्राम गुमानगंज की छात्राओं और छात्रों ने आज फिर प्रशासन की सांसें फुला दीं. गुमानगंज से ककोड़ स्थित विद्यालय तक जाने वाले सड़क मार्ग के तीन किमी लंबे हिस्से में बरसाती पानी भर जाने और रास्ते के कीचड़युक्त होने से तंग आकर विद्यार्थी आज सुबह बारिश के बाद विद्यालय जाने की बजाय गांव के पास ही हाईटेंशन लाइन के टावर पर चढ़ गए. टावर पर चढ़ने वालों में छात्राएं भी शामिल थीं.मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. गांव तक पहुंचने का रास्ता मुश्किल होने के कारण अभिभावकों से मोबाइल पर छात्रों को टावर से नीचे उतरने के लिए समझाइश की गई. अभिभावकों की समझाइश के बावजूद विद्यार्थी एक घंटे तक टावर से नीचे नहीं उतरे. हालांकि, पुलिस के गांव पहुंचने से पहले ही वे नीचे उतर आए.
गुमानगंज से ककोड़ तक जाने वाले तीनों रास्तों पर कीचड़ और पानी भरा हुआ है. एक रास्ते में वन विभाग का क्लोजर होने से वहां जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है. छात्रों का कहना है कि विद्यालयों के समय परिवर्तन के बाद छुट्टी के समय घर पहुंचते-पहुंचते अंधेरा हो जाता है.ग्रामीणों ने टोंक जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल से मुलाकात कर कहा कि कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि गांव को सड़क से जोड़ने के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएंगे और संबंधित विभागों से बात की जाएगी. ग्रामीणों का कहना है कि यदि पंचायत या सरकार द्वारा किसी भी मद में गांव को सड़क से जोड़ दिया जाए, तो न सिर्फ छात्र-छात्राओं को बल्कि पूरे गांव को बहुत राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि वे अपनी इस मांग को लेकर सांसद, विधायक और जिला प्रशासन से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन वर्षों से उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ऐसे में आज वे छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे.
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