सौ दिन बाद बनेगा मंत्रियों का पहला ‘रिपोर्ट कार्ड’
लखनऊ: कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों को खुद प्रस्तुतीकरण करने का निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूं ही नहीं दिया। असल में यह उसी कवायद का एक बिंदु मात्र है कि अब मंत्री की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति के सिर पर जवाबदेही का भी बोझ होगा। खास बात यह कि कौन कितना खरा उतरा, इसकी समीक्षा पांच बरस बीत जाने के बाद नहीं, बल्कि चरणवार होगी। मंत्रियों का ‘रिपोर्ट कार्ड’ अगले सौ दिन बाद ही तैयार होना है। मुख्यमंत्री योगी भी अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ‘एक्शन मोड’ में नजर आ रहे हैं।
हर विभाग तय कर रहा है निर्धारित अवधि के लिए लक्ष्य
हर विभाग को निर्देश दिया गया है कि अपनी-अपनी कार्ययोजना बना लें। मुख्यमंत्री खुद कार्ययोजना देखेंगे और फिर निश्चित अंतराल पर उसकी समीक्षा भी करेंगे। ऐसे में कार्यभार संभालने के साथ ही सभी मंत्री भी अपने-अपने विभाग के लिए सौ दिन की कार्ययोजना बनवाने में जुट गए हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार योगी नहीं चाहते कि मंत्री अपनी जवाबदेही से बच सकें, इसलिए एक निर्देश यह दिया है कि कैबिनेट में योजनाओं का प्रस्तुतीकरण मंत्री ही देंगे, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव सिर्फ सहयोग के लिए उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा यह भी व्यवस्था बना दी है कि मंत्रियों को जिस भी जिले का प्रभारी बनाया जाएगा, उस जिले में प्रति माह नोडल अधिकारी के साथ जाकर निरीक्षण करना होगा। फीडबैक लेकर शासन को रिपोर्ट सौंपनी होगी।
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