अनुदेशकों के मानदेय का मामला:केंद्र सरकार नहीं बता सकी कितना बजट अनुदेशकों के वेतन में सरकार को दिया गया, मंगलवार को फिर होगी
प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27000 से अधिक अनुदेशकों का मानदेय 17000 रुपया प्रतिमाह देने के एकल जज के निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपीलों पर आज भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। भारत सरकार की ओर से चीफ जस्टिस की बेंच में उपस्थित एएसजीआई कोर्ट में यह स्पष्ट नहीं कर सके कि केंद्र सरकार ने अनुदेशकों को दिए जाने वाले मानदेय के मद में राज्य सरकार को कितना पैसा दिया।
सरकार की अपीलों पर एक साथ हो रही सुनवाई
एएसजीआई ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें इस मुद्दे पर सही बात रखने के लिए कुछ और समय दिया जाए। केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया की अगली तारीख पर किसी अधिकारी को कोर्ट में बुलाया जाएगा, ताकि इस मामले में सही जानकारी से कोर्ट को अवगत कराया जा सके। चीफ जस्टिस राजेश बिंदल व जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ इस मामले में राज्य सरकार द्वारा दाखिल अपीलों पर सुनवाई कर रही है। एकल जज के आदेश के खिलाफ सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट व लखनऊ बेंच दोनों जगह अपील कर रखी है। सरकार की इन अपीलों पर एक साथ सुनवाई हो रही है।
लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंंसिंग के जरिए हुई सुनवाई
लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंसिंग से वहां के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी इस मामले में सरकार की तरफ से उपस्थित रहे। सरकार का कहना है की अनुदेशकों की नियुक्ति कांट्रैक्ट के आधार पर की गई है और ऐसे में कंस्ट्रक्ट में दी गई शर्तें और मानदेय उन पर लागू होगा । कहा गया कि केंद्र सरकार ने इस मद में आवश्यकतानुसार पैसा राज्य सरकार को अपने अंश का नहीं दिया है। ऐसे में सरकार अपने स्तर से अनुदेशकों का पेमेंट कर रही है।
2017 में ही हो चुका है 17 हजार मानदेय
अनुदेशको की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपनी योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का मानदेय 2017 में 17 हजार कर दिया था। कहा यह भी गया की केंद्र सरकार द्वारा पैसा रिलीज करने के बावजूद उनको 17000 प्रतिमाह की दर से पैसा नहीं दिया जा रहा है जो गलत है। कोर्ट अब इन अपीलों पर 24 मई को सुनवाई करेगी।
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