लखनऊ में राजकीय हाईस्कूलों के शिक्षकों व कर्मचारियों को महीनों से नहीं मिला वेतन, कर्मचारी संगठन ने दी प्रदर्शन की चेतावनी
राजकीय हाईस्कूलों में तैनात तीन सौ से ज्यादा शिक्षक व कर्मचारी इन दिनों आर्थिक दिक्कत से जूझ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह उन्हें पांच महीने से वेतन न मिलना है। वेतन की आस में रोजाना शिक्षक जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन शासन की ओर से अब तक बजट न मिलने की जानकारी मिलने से वह वापस मायूस लौट रहे। शिक्षकों का कहना है कि जब हम लगातार अपनी ड्यूटी करते हैं तो वेतन भी समय से क्यों नहीं दिया जा रहा। इसको लेकर कर्मचारी संगठन ने जिला विद्यालय निरीक्षक को ज्ञापन देकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में राजकीय इंटर कालेजों के साथ-साथ राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत राजकीय हाईस्कूल भी संचालित है। लखनऊ में ऐसे 35 राजकीय हाईस्कूलों में प्रधानाचार्य, शिक्षक व कर्मचारी मिलाकर इनकी संख्या 300 से ज्यादा है। इनके वेतन का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जारी बजट से किया जाता है। इसमें 60 फीसद केंद्र सरकार और 40 फीसद राज्य सरकार का शेयर होता है।
पांच महीने से कर रहे इंतजार : राजकीय हाईस्कूलों में तैनात शिक्षक व कर्मचारी फरवरी से अब तक वेतन का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर महीने वेतन न मिलने से घर का बजट बिगड़ गया है। आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।
एक सप्ताह में वेतन नहीं तो प्रदर्शन : शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन न मिलने की जानकारी पर यूपी एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल आफीसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश गुप्ता व सचिव अवधेश कुमार ने जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि वेतन न मिलने से शिक्षक व कर्मचारियों में रोष है। उन्हें आर्थिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए एक सप्ताह में बजट आवंटन की कार्रवाई ईनहीं हुई तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत राजकीय हाईस्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों को कई महीने से वेतन न मिलने का मामला संज्ञान में आया है। इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर बजट आवंटन के लिए कहा गया है। - डा. अमर कांत सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, लखनऊ
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