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मंगलवार, 13 सितंबर 2022

अब बीच मझधार में नहीं छूटेगी बेटियों की पढ़ाई, वो पूरी करेंगी अपनी शिक्षा



 अब बीच मझधार में नहीं छूटेगी बेटियों की पढ़ाई, वो पूरी करेंगी अपनी शिक्षा

अलीगढ़ । अक्सर देखने में आता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियां कक्षा आठवीं पास करने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं। नौवीं की पढ़ाई के लिए वे कालेजों में दाखिला नहीं लेती हैं। इसमें भी हैरानी की बात ये दिखती है कि जो बेटियां कक्षा नौवीं या 10वीं में पढ़ रही होती हैं वो भी अपनी समस्याओं के चलते बीच में ही कालेजों से किनारा कर लेती हैं। 

मगर अब शासन की ओर से बेटियों को लगातार परीक्षा कक्षाएं पढ़ने के लिए प्रेरित करने व उनको इस धारा से जोड़ने के लिए कदम उठाया जा चुका है। जिले के कालेजों से इस संबंध में सूचना भी मांगी जा रही है। corona period के समय में ही बेटियों की शिक्षा के संबंध में प्लान तैयार हुआ था। मगर अब इसके कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। 

स्कूलों में लगेंगी सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन : Government Girls High School व इंटर कालेजों में अब छात्राओं की सुविधा व सुरक्षा के दृष्टिगत sanitary pad vending machine लगाई जाएंगी। बालिका विद्यालयों में सैनेटरी वेंडिंग मशीन लगने से बालिकाओं के कालेजों से नाम न कटवाने की उम्मीद भी जगी है। Secondary Education Department के सर्वे के अनुसार 11 से 17 वर्ष की आयु तक की कई छात्राएं इन सुविधाओं के अभाव में कालेज छोड़ जाती हैं।

इंसीनरेटर भी लगेंगे : माध्यमिक विभाग के सर्वे के अनुसार यूपी में 2018-19 में 11 से 14 वर्ष आयु की 5.13 लाख छात्राओं ने इन्हीं सुविधाओं के अभाव में कालेज छोड़ दिया था। छात्राओं का कहना था कि उनके कालेज में माहवारी संबंधी सुविधाएं व समुचित व्यवस्थाएं नहीं हैं। सैनेटरी पैड के निस्तारण के लिए इंसीनरेटर भी लगेंगे। छात्राओं के स्वास्थ्य व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए Central government की ओर से समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरुआती चरण में राशि की व्यवस्था भी की जाएगी।

जिले में 34 राजकीय विद्यालय : प्रति Government Girls School में मशीन व इंसीनरेटर लगाने को 30 हजार रुपये के अनुमानित खर्च का आकलन किया गया है। कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण कर लेने के बाद इस व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया जाएगा। जिले में 34 राजकीय विद्यालयों में 11 बालिका इंटर कालेज हैं। इनके अलावा 11 राजकीय हाईस्कूल हैं, जहां छात्र-छात्राएं मिश्रित रूप से पढ़ते हैं। अभी शुरुआती चरण में ये व्यवस्था राजकीय बालिका विद्यालयाें में की जा रही है।

स्वास्‍थ्‍य की दृष्‍टि से हितकर : उम्मीद जताई जा रही है कि इसके बाद एडेड विद्यालयों में भी इस व्यवस्था को अनिवार्य किया जाएगा। निदेशक माद्यमिक शिक्षा की ओर से पत्र जारी कर इस संबंध में व्यवस्था बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं। शुरुआती चरण मेें एक हजार बालिका विद्यालयों में ये व्यवस्था की जानी है। विद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस संबंध में कार्यवाही अपनाई जाएगी। छात्राओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से ये काफी हितकर है।

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