UPPBPB UP Police SI Bharti : 9534 यूपी पुलिस एसआई भर्ती में ST सीट पर GEN का चयन, सरकार को नोटिस
UPPRPB UPPBPB UP Police SI Bharti : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस दरोगा भर्ती में एससी कोटे की सीट पर सामान्य व पिछड़ा वर्ग अभ्यर्थियों का चयन करने के खिलाफ याचिका पर चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने दरोगा भर्ती-2021 के एससी अभ्यर्थी पवन कुमार भारतीय व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सुनील यादव सुनकर दिया है। अधिवक्ता सुनील यादव का कहना था कि पुलिस भर्ती बोर्ड ने फरवरी 2021 में उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस, प्लाटून कमांडर पीएसी और अग्निशमन अधिकारी के 9534 पद विज्ञापित किए थे। इसका परिणाम व चयन सूची भर्ती 12 जून को जारी की गई।
परिणाम में अनुसूचित जाति की श्रेणी में दो हजार उम्मीदवारों को चयनित किया गया, जिनमें ओबीसी व सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी भी शामिल कर दिए गए जो आरक्षण नीति के विरुद्ध है। अधिवक्ता यादव ने भर्ती बोर्ड द्वारा चयनित उम्मीदवारों के रॉ मार्क्स और नॉर्मलाइसड मार्क्स सार्वजनिक न करने पर भी आपत्ति करते हुए कहा कि सभी अभ्यर्थियों के प्राप्तांक सार्वजनिक किए जाने चाहिए।
अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में फैसला सुरक्षित
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में राज्य सरकार की विशेष अपील पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने पिछले दो दिन से चल रही सुनवाई पूरी होने पर दिया है।
एकल पीठ ने अनुदेशकों को 17000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने अपील दाखिल कर एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी है। राज्य सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता अजय मिश्र का कहना था कि अनुदेशकों की नियुक्ति वर्ष 2017-18 के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत संविदा के आधार पर की गई थी।
अनुदेशक संविदा कर्मचारी हैं और उन्होंने सेवा शर्तें पर स्वेच्छा से हस्ताक्षर किए थे इसलिए वे अब इसे चुनौती नहीं दे सकते। महाधिवक्ता का कहना था कि सर्व शिक्षा अभियान योजना केंद्र सरकार ने लागू की थी। केंद्र सरकार ने यह योजना अब बंद कर दी है और इसकी जगह समग्र शिक्षा योजना लागू की है। जहां तक अनुदेशकों को बढ़ा हुआ मानदेय 17000 रुपये देने की बात है तो इसकी संस्तुति प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने की थी, जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत काम करता है।
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