Bihar Election 2025 second phase : अबकी बार, 122 पर वॉर! नीतीश, तेजस्वी और औवेसी... दूसरे फेज की वोटिंग में किसका क्या दांव पर?
Bihar Election 2025 second phase: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर वोटिंग के बाद अब बारी दूसरे चरण की है. दूसरे चरण में 18 जिलों की 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतदाता 11 नवंबर को होगा. यही वजह है कि राजनीतिक दलों ने दूसरे चरण की सीटों पर प्रचार की ताकत झोंक दी है. दूसरे चरण में यूपी की सीमा से सटे बिहार की सीटों से लेकर चंपारण बेल्ट मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र की सीटें पर मतदान होगा. इस तरह पहले चरण में एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी की साख दांव पर लगी थी तो दूसरे चरण में बीजेपी का असल इम्तिहान होना है. वहीं, महागठबंधन में आरजेडी ही नहीं कांग्रेस को भी साबित करने का चैलेंज होगा तो असदुद्दीन ओवैसी को बिहार में अपनी साख बचाए रखने की चुनौती है. 2020 में ओवैसी ने इसी चरण की सीटों पर जीतकर सभी की चौंका दिया था
18 जिले की 122 सीटों पर चुनाव
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 18 जिलों की सीटों पर चुनाव है. इसमें गयाजी जिले की 10, कैमूर जिले की 4, रोहतास जिले की 7, औरंगाबाद जिले की 6, अरवल जिले की 2, जहानाबाद की जिले की 3, नवादा जिले की 5, भागलपुर जिले की 7, बांका जिले की 5, जमुई जिले की 4, सीतामढ़ी जिले की 8, शिवहर जिले की 1, मधुबली जिले की 10, सुपौल जिले की 5, पूर्णिया जिले की 7, अररिया जिले की 6, कटियार जिले की 7, किशनगंज जिले की 4, पूर्वी चंपारण जिले की 12 तो पश्चिमी चंपारण जिले की 9 विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे.
दूसरे चरण की इन सीटों पर होगा मतदान
गयाजी की बेलागंज, गया टाउन, बोधगया, टिकारी, शेरघाटी, बाराचट्टी (SC), अतरी, इमामगंज (SC), गुरुवा और वजीरगंज सीट हैं. कैमूर की चैनपुर, मोहनिया, भभुआ की रामगढ़ सीट तो रोहतास की नोखा, डेहरी, काराकाट, करगहर, सासाराम, चेनारी और दिनारा सीट है. औरंगाबाद की गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुम्बा, औरंगाबाद और रफीगंज सीट है. अरवल जिले की अरवल और कुर्था तो जहानाबाद की जहानाबाद सदर, मखदुमपुर (SC) और घोसी सीट है. नवादा की हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर, वारसलीगंज और रजौली (SC) सीट है. भागलपुर की बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती (SC), कहलगांव, भागलपुर, सुल्तानगंज और नाथनगर. बांका जिले की बांका, अमरपुर, कटोरिया (ST), धोरैया (SC) और बेलहर सीट है. जमुई की सिकंदरा (SC), जमुई, झाझा और चकाई सीट पर चुनाव है.
मिथिलांचल-सीमांचल की सीटों पर चुनाव
सीतामढ़ी की बेलसंड, बथनाहा (SC), परिहार, सुरसंड, रीगा, सीतामढ़ी, रून्नीसैदपुर और बाजपट्टी तो शिवहर की एकलौती सीट है. मधुबनी की हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, मधुबनी, राजनगर, झंझारपुर, फुलपरास और लौकहा सीट है. सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज (SC), छातापुर, निर्मली, सुपौल और पिपरा सीट है. सीमांचल के इलाके में पूर्णिया जिले की अमौर, कसबा, बनमनखी (SC), रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया और बायसी सीट है. अररिया जिले की नरपतगंज, रानीगंज (SC), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट और सिकटी सीट है. कटिहार की बरारी, कोढ़ा, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर और मनिहारी सीट जबकि किशनगंज जिले की ठाकुरगंज, किशनगंज, बहादुरगंज और कोचाधामन (SC) है.
चंपारण बेल्ट की 21 सीटों पर चुनाव
बिहार के चंपारण बेल्ट की 21 सीटों पर दूसरे चरण में चुनाव है. पूर्वी चंपारण की रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि, गोबिन्दगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पीपरा, मोतिहारी, मधुबन, चिरैया और ढाका सीट हैं. पश्चिमी चंपारण की वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, नौतन, चनपटिया, बेतिया और सिक सीटों पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा.
दूसरे चरण में किसका क्या दांव पर लगा है?
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर वोटिंग होनी है, उसमें एनडीए के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो महागठबंधन को अपनी वापसी के लिए ताकत लगानी है. 2020 में इन सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों को देखें तो 66 सीटें महागठबंधन के पास थी तो महागठबंधन ने 50 सीटें जीतने में सफल रही थी. अससुद्दीन ओवैसी की पार्टी 5 सीटें जीती थी तो एक सीट बसपा जीतने में सफल रही थी. दूसरे चरण में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी ने जीती थी, बीजेपी के पास 42 सीटें है जबकि जेडीयू सिर्फ 20 सीटें ही जीत सकी. एनडीए के सहयोगी रहे जीतनराम मांझी की पार्टी की चारों सीटें इसी इलाके में जीती थी. वहीं, महागठबंधन में आरजेडी ने 33 सीटें जीतने में सफल रही थी तो कांग्रेस 11 सीटें ही जीत सकी थी. सीपीआई माले ने 5 सीटें, बसपा एक सीट जीती थी. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पांच सीटें और एक निर्दलीय ने जीती थी.
एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई बन गई
2020 के चुनावी नतीजों के लिहाज से देखें तो दूसरे चरण में सबसे ज्यादा चुनौती एनडीए के लिए है, खासकर बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चैलेंज है. पहले चरण में जेडीयू की साख दांव पर लगी थी तो दूसरे चरण में बीजेपी और जीतनराम मांझी की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होनी है. इसके अलावा चिराग पासवान के सामने भी अपने मजबूत इलाके में खुद को साबित करना होगा, क्योंकि जमुई जैसे इलाके की सीटों पर चुनाव है. वहीं, महागठबंधन की तरफ से आरजेडी और कांग्रेस का सबसे बड़ा इम्तिहान है. महागठबंधन की सत्ता में वापसी का पूरा दारोमदार इन्हीं दोनों पार्टियों के प्रदर्शन पर टिका हुआ है. कांग्रेस 2020 में अपने इस इलाके में बेहतर नहीं कर सकी थी, क्योंकि उसे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से झटका लगा था. इसके अलावा माले को भी अपने कोटे की सीटों को बचाए रखना हो तो आरजेडी के सामने अपनी पिछली सीटों को सिर्फ बचाने की नहीं बल्कि उसमें बढ़ोतरी करने की है. महागठबंधन ने सबसे ज्यादा फोकस इसी इलाके की सीटों पर किया है, जहां पर 11 नवंबर को वोटिंग होनी है. बसपा 2020 में खाता खोलने में अगर कामयाब रही है तो इस इलाके की सीटें थी. मायावती ने अपनी एकलौती रैली कैमूर जिले के भभुआ विधानसभा सीट पर किया है, जहां की चारों सीटों पर उसका फोकस है. ओवैसी ने अपना पूरा फोकस सीमांचल के कर रखा है, जहां पिछले चुनाव में पांच सीटें जीती थी. AIMIM दूसरे चरण की करीब 19 सीटों पर चुनावी मैदान में है, जहां पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं.
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