बीएलओ शिक्षक एसआईआर सर्वे में व्यस्त, शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहा असर
प्रदेश सरकार आगामी 1 अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू करने की तैयारी कर रही है, लेकिन शिक्षकों पर प्रशासनिक कार्यों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। शिक्षा सत्र 2025-26 को डेढ़ माह घटाकर 20 नवंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होनी हैं। इसी बीच, निर्वाचन विभाग के एसआईआर सर्वे और मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यों में बड़ी संख्या में शिक्षक बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और सुपरवाइजर के रूप में व्यस्त हैं। शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेशभर में लगभग 95 प्रतिशत बीएलओ शिक्षक ही हैं, जिन्हें विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ-साथ निर्वाचन विभाग के कार्य भी निभाने पड़ रहे हैं। इससे विद्यालयों की नियमित शैक्षणिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
अवकाश भी ड्यूटी में
बीएलओ शिक्षकों की सबसे बड़ी व्यथा यह है कि उन्हें वर्षभर मतदाता सूची सत्यापन, संशोधन, प्रशिक्षण और सर्वे जैसे कार्यों में लगाया जाता है। रविवार और अन्य अवकाश के दिनों में भी उन्हें फील्ड वर्क या प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाता है। इसके बदले न तो क्षतिपूर्ति अवकाश मिलता है और न ही कोई आर्थिक सहायता (मानदेय)। प्रशिक्षण अधिकतर जिला या उपखंड मुख्यालयों पर आयोजित होते हैं, जिनके लिए यात्रा भत्ता तक नहीं दिया जाता। शिक्षक अपने निजी खर्च से इन कार्यों को निभा रहे हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
पाठ्यक्रम अधूरा, परीक्षा नजदीक
अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की समय-सारणी के अनुसार, परीक्षा 20 नवंबर से प्रारंभ होगी और इसमें 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे जाने का प्रावधान है। हालांकि, अधिकांश विद्यालयों में पाठ्यक्रम अभी अधूरा है।शिक्षकों का कहना है कि एसआईआर सर्वे और निर्वाचन कार्यों के चलते हमें विद्यालय समय में भी फील्ड ड्यूटी करनी पड़ रही है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है और विद्यार्थियों की परीक्षा तैयारी अधूरी रह गई है।
बीएलओ शिक्षकों की व्यथा
बीएलओ शिक्षक जगदीश शर्मा का कहना है कि ‘‘हम पूरे सप्ताह विद्यालय में पढ़ाते हैं और रविवार को परिवार के साथ समय बिताने का अवसर भी ड्यूटी में चला जाता है। थकान और तनाव दोनों बढ़ रहे हैं। मुरलीधर कटारा का कहना है कि लोकतंत्र को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन मेहनत के बदले सिर्फ औपचारिक मानदेय मिलता है ईश्वर साद कहते है कि हम हर आदेश का पालन करते हैं, पर छुट्टियां और निजी समय दोनों खत्म हो गए हैं। सरकार को उचित मानदेय और टीए-डीए देना चाहिए।
बीएलओ शिक्षकों को महंगाई के इस दौर में प्रतिमाह कम से कम 5,000 का मानदेय और प्रशिक्षण व बैठकों के लिए अलग से यात्रा भत्ता दिया जाना चाहिए। साथ ही रविवार और अन्य अवकाश के दिनों में ड्यूटी से राहत प्रदान की जानी चाहिए ताकि सम्मान बना रहे।-राजेन्द्र सिंह चौहानजिला उपाध्यक्ष,राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
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