बेसिक स्कूलों के बच्चे सीखेंगे दोस्तों-शिक्षकों से बात करने का तरीका, शब्द उच्चारण-बोलने की शैली भी सीखेंगे
निपुण भारत मिशन अभियान चलाकर बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों में पठन पाठन का स्तर बढ़ाने में जुटा है। शिक्षकों को कक्षा और विद्यार्थियों की उम्र के अनुसार उनका संख्या ज्ञान बढ़ाने का लक्ष्य दिया जा रहा है। अध्यापकों को भाषा और गणित विषय के विशेष अध्यापन के लिए प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
कक्षा एक से तीन तक के बच्चे पहले सीखेंगे : अब कक्षाओं में विद्यार्थियों को शब्दों के उच्चारण, बोलने की शैली आदि की जानकारी दी जाएगी। आपस में बोलचाल के तौर तरीके भी समझाए जाएंगे। प्रथम चरण में यह प्रयोग कक्षा एक से तीन तक के विद्यार्थियों के साथ होगा। कुछ स्कूलों में इस दिशा में प्रयास शुरू हो चुका है।
नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों की शब्दावली ठीक की जाएगी : नई शिक्षानीति के अनुसार विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में विषय ज्ञान देने के साथ उनकी शब्दावली को भी समृद्ध करने का प्रयास हो रहा है। शुद्ध वाक्य विन्यास बनाने लिखने का अभ्यास कराया जाएगा। क्रिया शब्दों, नामकरण और विराम चिह्नों के बारे में भी बताया जाएगा। दोस्तों, शिक्षकों और परिवार में बातचीत की शैली भी समझाई जाएगी।
क्या कहते हैं बीएसए : प्रयागराज के बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि इस विधा को समझाने के लिए वीडियो, रीड एलांग एप आदि का भी सहारा लिया जाएगा। आसपास की वस्तुओं के संदर्भ में तुलनात्मक शब्दों का उपयोग करना भी बताया जाएगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों की बैठक कराकर उन्हें भी बच्चों को कराए जा रहे अभ्यास की जानकारी दी जाएगी।
परिषदीय स्कूलों में अभ्यास शुरू : एसआरजी वंदना श्रीवास्तव ने बताया कि अंदावा स्थित परिषदीय विद्यालय में इस दिशा में अभ्यास शुरू करा दिया गया है। वह जहां भी शैक्षिक पर्यवेक्षण के लिए जा रही हैं वहां कक्षा में बच्चों को पढ़ने, बोलने आदि के अभ्यास कराने पर बल दिया जा रहा है। इसके लिए रोल प्ले, रीड अलाउड आदि के साथ दीक्षा पोर्टल, प्रेरणा पोर्टल व एनसीईआरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग शिक्षक कर रहे हैं।
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